Tuesday, March 17, 2009

Voice of OBCs : Hindi Bi-Monthly Magazine

This is bi-monthly Hindi magazine published form Varanasi under the editorship of Mr. Chandan Vishwakarma. Mr. Amritanshu is the Honorary Editor. It is highly recomendable magazine in view that normally such news are not reached to our people. This magazine is focused on issues related to Backward Classes people, our social revolutionary leaders.
It,s contributory price is 5/- and address is : Rani Niwas, Om Nagar Colony,Lane No-6, Akatha, Benipur, Paharia, Varanasi (UP).

2 comments:

  1. मेरा यह सौभाग्य था कि क्रांति के बीज से मिल पायी थी (मुम्बई प्रेस क्लब मे) और आपकी एक रचना का भावार्थ भी आपके मुखार्विंदसे सुनने को मिला था .....जो सिर्फ और सिर्फ मेरे पति के वजह से यह सौभाग्य प्राप्त हुआ जो माटी के इस सपूत से मिल पायी,मै कृतज्ञ हूँ उस वक्त का भी जिसमे मुझे क्रांति के बीज को करीब से सुनने और बात करने का जो मौका दिया .........धन्यवाद आपको आपके ब्लोग को भी .........जो बीते वक्त को बांटने का अवसर दिया
    ........और चिठ्ठाजगत मे आपका स्वागत है!

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  2. जाते जाते आपके नेक कर्म पर मेरी एक छोटी सी भाव जो कभी किसी पुस्तक को पढने के बाद यूँ ही उतर आये थे मानस के तल पर ........

    आपकी रचना को पढ्कर कुछ भाव मेरे आँखो को नम कर गये और मन को कुछ चंद शब्दो मे भिंगो कर चले गये जो इस तरह है ..........



    शहर, गाँव ,परिवार और
    मानवियता से कोसो दूर
    इन बाशिंदो के अंदर
    सिर्फ एक पनपती भूख
    क्योकि माताओ के कोख मे ही
    होती भूख से हाथे दो चार

    सूरज और चाँद सितारे सब
    आते सांझ सकारे सब
    धरती होती बांझ यहाँ की
    फट्ती धरती रोज यहाँ की
    आग बरसती आसमानो से
    जननी होती बेबस जब
    झोकती भूख जलावन मे
    भेश मे होती अवशेषो की

    आदिमानव दिखते बेबस
    चमडो के संसार यहाँ पर
    मांसो से है भरते पेट
    चील गिद्धो से परहेज नही,
    पर पाये गये निवालो से
    होती जश्न यहाँ पर अक्सर
    बच्चो और जवानो मे

    क्या बच्चे ,क्या बुढे और जवान
    सबके सब दिखते एक समान
    यौवन भी होती भूख से भारी
    कुम्हला जाती कुछ चंद दिनो मे
    पर ना होते भाव कही भी
    होती एक सनातन भूख


    अन्नाजो पर भेंट चढकर
    दावत होती नून भात की
    यौवनाओ की कुर्बानी से
    आसमान के फटते ही
    कोख हरी होजाती है
    तब वो बच्चे खून चूसकर
    हो जाते अछूत कही!

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